Mature: परिपक्वता
जाने मैच्योर बनने का सरल तरीका
क्या हम सच में इतना मैच्योर हैं जितना हम खुद को समझते हैं? या हम भी ज्यादातर लोगों की तरह खुद को समझते तो मैच्योर हैं लेकिन हमारे काम सारे ही इमेच्योर होते हैं। चलिए सबकुछ डिटेल में जानते हैं। इस आर्टिकल में जानेंगे कि असल में मैचुरिटी क्या होती है और कितने प्रकार कि होती है। मैच्योर और इमैच्योर लोगों में क्या अंतर होती है? अंत में मै आपको 5 ऐसे तरीके बताऊंगा जिसे आप फॉलो कर के अपनी लाइफ मैच्योर तरीके से जी सकते हैं।
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Maturity का मतलब अपनी सोच अपनी इमोशंस और अपनी एक्शन में बलैंस और कंट्रोल होना होता है। अगर हम क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट की सुने तो उन लोगो का कहना है
“अगर हम लाइफ में जितनी बार अलग अलग तरह के सिचुएशन को एक्सपीरियंस करते हैं, यंग एज में जितनी ज्यादा जिम्मेदारी लेकर खुद को और लाइफ को हैंडल करते हैं उतने है ज्यादा हम मैच्योर होते हैं।”- जॉर्डन पीटरसन
Maturity के 2 महत्वपूर्ण क्षेत्र भी हैं-
1. मेंटल मैच्योरिटी– जिसमें हमारे सिचुएशन को देखने और समझने का नजरिया समिल होता है।
2. इमोशनल मैच्योरिटी– जिसमें हम खुद के लिए और दूसरों के लिए कितने मैच्योर हैं यह मालूम होता है।
Immaturity signs vs Maturity signs
Immature लोग खुद को सबसे ज्यादा मैच्योर समझतें हैं। जो चीज फ़ैशन में ट्रेंड करता है उसे फॉलो करतें हैं। बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देना । दूसरों के फिलिंग्स, दूसरों के बारे में ना सोचना केवल खुद के बारे में सोचना। खुद के इमोशंस पर कंट्रोल ना होना। ओवर रिएक्ट करना खुद को काफी सीरियसली लेना और लोगों की छोटी छोटी बातों पर बुरा मान जाना। अपनी लाइफ को दूसरों के लाईफ से तुलना करना और जलन फील करना। और भी काफी सारे प्वाइंट है।
Mature लोग का साइन है अपने लाइफ को एक उद्देश्य के साथ जीना। ये मालूम होना कि उन्हें लाइफ में क्या चाहिए। कुछ भी बोलने से पहले थोड़ा सोचना। दूसरों की फीलिंग्स और इमोशंस को समझना। अपने इमोशंस पर कंट्रोल रखना। चाहे कैसी भी सिचुएशन हो उसे धैर्य से हैंडल करना। अपने आप को ज्यादा सीरियसली ना लेते हुए लोगों के मजाक में हसना बिना रिस्पेक्ट गेवाए। खुद बोलने से ज्यादा दूसरों की बातों को सुनना। जल्दी से वादा ना करना। और अगर कर दिए तो उसे पूरा करना। अपने माइंड, हेल्थ, रिलेशन, प्रोफेशन, और नॉलेज को बेहतर बनाते रहना।
Mature कैसे बने?
1. Don’t think you are mature.
सभी अपने आप को मैच्योर समझते हैं जो कि गलत बात है। ये जताना चाहतें है कि मुझे सामने वाले से ज्यादा समझ है। यही कारण है रिलेशन के बीच लड़ाईयां और अर्गुमेंट्स का। लेकिन जब हम भी अपने आप को बाकी लोगो की तरह खुद को नॉर्मल समझते है तो हम अपने आस पास के लोगों से रिलेट कर पाते हैं।
“हम खुद को मैच्योर समझने से मैच्योर नहीं होते,
बल्कि हमारे एक्शन शो करतें हैं कि हम कितने मैच्योर हैं।”
2. Be Proactive Not Reactive
हर सिचुएशन को हैंडल करने के हमारे पास दो ऑप्शन्स होते हैं। या तो हम प्रोएक्टिवली सिचुएशन को आराम से सोच के हैंडल कर सकते हैं जैसे महिंद्रा सिंह धोनी मैच के दौरान करते हैं। या रिएक्टिवली, बिना सोचे समझे अपने आप से कंट्रोल खो के रिएक्ट कर सकते हैं। जैसे बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो जाना या बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाना।
लेकिन प्रोएक्टिव है आपको एक बेहतर जिंदगी के तरफ ले कर जाएगा। लोग कभी भी रिएक्ट वे में मेच्योर नहीं हो सकते।
3. Understand Emotion and Control Them
चाहे इमोशन खुद के हों या दूसरों के हमे सभी के इमोशन को समझना चाहिए और उन्हें सही तरीकों से हैंडल करना चाहिए। हम सब अपने इमोशन तो अच्छे तरीके से समझते ही हैं लेकिन अब से आप स्टार्ट करें कि जो बाते लोग आप से नहीं कर पाते वो आप खुद ही समझ सकें।
दूसरे की नजरिए से दूसरों की सिचुएशन देखो, कोई आपका करीबी है जिसने आपको गुस्से में कभी कुछ गलत बोल दिया वो जब आप से आके माफी मांगे तो उसे माफ करना भी सीखें। और अगर आप से भी कुछ गलती हो गया है तो sorry में शर्माइएगा नहीं।
4. Stay Away From Drama
हम उन पांच लोगों की तरह ही बनते है जिनके साथ हम सबसे ज्यादा रहते हैं। तभी तो कहते हैं कि हम अपने दोस्त बहुत सोच समझ के चुनने चाहिए। जितना हो सके उतना नेगेटिव लोगों से और ड्रामा से दूर रहना चाहिए।
5. Take Responsibility, Don’t Blame
बहुत आसान होता है लाईफ को, भगवान को, फ्रेंड्स को, सिचुएशन को या पैरेंट्स को blame करना कि मेरे पास ये नहीं है वो नहीं है। इनके वजह से मै जो करना चाहता हूं वो नहीं कर पा रहा हूं। जब कुछ अच्छा कर दिया तो सारा क्रेडिट खुद का और नहीं कर पाया तो सारा blame डाल दिया।
बेस्ट है कि हम अपनी और अपने आस पास के लोगों कि responsibility खुद ले बजाए उनपे डिपेंडेंट रहने के या उनसे बहुत सारे एक्सपेक्टेशन लगाने के।
“Don’t be follower, Be a Leader”
लाल तो ये थे कुछ टिप्स समझदार और मैच्योर बनने के इसी के साथ ये आर्टिकल भी यही समाप्त होती है।
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