Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki :- नमस्कार दोस्तों आज के इस नए पोस्ट में हम बात करने वाले हैं आर्य समाज के बारे मे की आर्य समाज की स्थापना किसने की थी तो यदि आपको इसके बारे में नहीं जानकारी है तो कृपया आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा जरूर पड़े तो चलिए शुरू करते हैं इस आर्टिकल को जानते हैं कि Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki
Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki (आर्य समाज की स्थापना किसने की थी)
आर्य समाज की स्थापना 10 अप्रैल 1875 को मुंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा किया गया था। |
आर्य समाज एक हिंदू सुधार आंदोलन था और यह हिंदू समाज सुधारक के लिए शुरू किया गया था। जिसकी स्थापना 10 अप्रैल 1875 को मुंबई में को स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा किया गया था। उससे पहले स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने बिहार के आरा जिले में इस आर्य समाज की स्थापना की थी लेकिन बिहार में शुरू किया गया आर्य समाज अधिक समय तक नहीं चल सका और स्वामी दयानंद के बिहार छोड़ने के बाद इस आर्य समाज का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया। फिर उसके 3 साल बाद स्वामी दयानंद सरस्वती ने बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की थी।
आर्य समाज के सभी लोग वैदिक परंपराओं में विश्वास करते थे। और इसके अलावा आर्य समाज के सभी लोग मूर्ति पूजा, कर्मकांडों, अवतार, और अंधविश्वास को पूरी तरह से विरोध करते थे, आर्य समाज के लोग छुआछूत और जातिवाद जैसी सामाजिक बीमारी का पूरी तरह से बहिष्कार करते थे। आर्य समाज के लोग मानते थे कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति की अवधि तकरीबन चार अरब 32 करोड़ वर्ष है। और आर्य समाज के लोग मांस, बीड़ी, चाय, शराब, सिगरेट, मिर्च-मसाले को पूरी तरह से बहिष्कार करते थे। आर्य समाज महिलाओं और शूद्रों को वेदों का अध्ययन करने का पूरी तरह से आजादी देता है।
आर्य शब्द का अर्थ क्या है?
आर्य समाज का मतलब श्रेष्ठ और प्रगतिशील समाज होता है।आर्य समाज के सभी लोग वैदिक परम्परा और वैदिक कार्य पर विश्वास रखते थे। आर्य समाज के लोग अपना आदर्श पुरुषोत्तम राम और कृष्ण को मानते थे। महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना के लिए नींव राखी। आर्य समाज के सभी नियम और सिद्धांत वेदों से ही लिए गए हैं।
आर्य समाज के लोग ईश्वर के पूजा करने में काफी विश्वास रखते हैं और आर्य समाज का कहना है कि सच्चे ईश्वर की पूजा करना चाहिए। यह ईश्वर वायु और आकाश के तरह है। आर्य समाज के सभी लोग मूर्ति पूजा, ढोंग, झूठे कर्मकांड, बलिदान, अवतार, आदि पर विश्वास नहीं करते हैं।
आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती है जिन्होंने सत्यार्थ प्रकाश नामक एक पुस्तक की रचना की थी। स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा लिखा गया यह ग्रंथ आर्य समाज के लिए मूल ग्रंथ है। इसके अलावा आर्य समाज के सम्माननीय ग्रंथ हैं जैसे कि वेद, षड दर्शन, उपनिषद, वाल्मीकि रामायण और गीता आदि। आर्य समाज के महर्षि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश में इन सभी ग्रंथ का सार दिया है।
लाहौर में आर्य समाज की स्थापना कब हुई थी?
लाहौर में 1877 को आर्य समाज की स्थापना की गई थी। इसके बाद सभी जगह आर्य समाज का काफी ज्यादा प्रचार प्रसार हुआ।
आर्य समाज का इतिहास
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने 10 अप्रैल वर्ष 1875 को मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी। इसका स्थापना से पहले दयानंद सरस्वती जी बिहार के आरा नामक जिले में 7 सितम्बर वर्ष 1872 मे आर्य समाज की स्थापना किया था। लेकिन यह आर्य समाज का स्थापना ज्यादा समय तक नहीं चल पाया और स्वामी दयानंद सरस्वती जी के द्वारा बिहारी छोड़ने के बाद इस आर्य समाज का अस्तित्व ख़त्म हो गया था. उसके बाद फिर स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने वापस से बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की जिसके बाद आर्य समाज पूरे भारत देश में चर्चित हो गया।
आर्य समाज के 10 नियम क्या है?
- सभी को अपने बारे में नहीं सोचना चाहिए बल्कि ऐसे कार्य करना चाहिए जिससे पूरे समाज मे तरक्की हो।
- इन्सान सत्य और असत्य के अनुसार करना चाहिए और अपने धर्म के अनुसार ही कोई फैसला लेना चाहिए।
- आर्य समाज का करना है कि समाज में विधा की वृद्दि और अविधा का नाश करनी चाहिए.
- सभी को वेद का अध्धयन करना चाहिए क्योंकि वेदों में सत्य है।
- ईश्वर निराकर, दयालु, पवित्र, अनुपम, अनादी, सर्वाधार, सर्वव्यापक, न्यायकारी, अमर, सत्य, सृष्टिकर्ता और अभय है. और इसलिए सभी को ईश्वर की ही उपासना करनी चाहिए.
- सभी व्यक्ति को असत्य को त्याग देना चाहिए और सत्य को ग्रहण करना चाहिए।
- जो सत्य बोलते हैं और सत्य की राह पर चलते हैं उन सबका का आदिमूल स्वयं परमेश्वर होता है.
- मनुष्य को धर्म अनुसार सभी के साथ अच्छे व्यवहार करना चाहिए और सभी को मदद करनी चाहिए।
- दुनिया में हर एक मनुष्य का उद्देश्य मानसिक, धार्मिक, और शारीरिक उन्नति करना ही है.
- समाज के सभी व्यक्ति को सर्वहितकारी, सामाजिक, नियम पालने में परतंत्र रहना चाहिए. सभी लोगों को सबके हित के अनुसार नियम पालने चाहिए.
आर्य समाज की स्थापना कहाँ हुई?
आर्य समाज की स्थापना 10 अप्रैल वर्ष 1875 को बंबई में स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा किया गया था।
आर्य समाज की स्थापना के उद्देश्य क्या थे?
आर्य समाज की स्थापना के मुख्य उद्देश्य यह था कि हिंदू धर्म के सभी लोगों को वेदों के सही ज्ञान बारे में बताना था। ताकि हिंदू धर्म में फैली विभिन्न-विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां और अफवाहों समाप्त हो सके।
आर्य समाज की स्थापना कब और किसने की?
10 April 1875 को स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना की गई थी।
आर्य समाज का मुख्यालय कहाँ है?
आर्य समाज का मुख्यालय दिल्ली में स्थित है।
[ FAQ,s ]
Q. आर्य समाजियों को किसने “भारतीय अशान्ति का जनक” कहा है?
Ans:- आर्य समाजियों को वेलेंटाइन शिरोल ने भारतीय अशान्ति का जनक कहा था ।
Q. सत्यार्थ प्रकाश किसकी रचना है?
Ans:- सत्यार्थ प्रकाश के रचयिता दयानन्द सरस्वती जी है ।
Q. मूलशंकर किसका उपनाम था?
Ans:- स्वामी दयानंद सरस्वती जी का उपनाम मूलशंकर था।
Q. दयानंद सरस्वती जी के गुरु का क्या नाम था?
Ans:- दयानंद सरस्वती के गुरु का नाम विरजानंद जी था।
Q. आर्य समाज का सबसे अधिक प्रचार कहाँ हुआ था?
Ans:- आर्य समाज का सबसे अधिक प्रचार और प्रसार उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और राजस्थान में हुआ था।
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[ निष्कर्ष ] – Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki
दोस्तों अब हमें उम्मीद है कि अब आपको आर्य समाज के बारे मे सभी जानकारी मिल चुकी होगी और आप जान चुके होंगे कि Arya Samaj Ki Sthapna Kisne Ki . तो चलिए इस आर्टिकल को यहीं पर समाप्त करते हैं। लेकिन इससे पहले आप हमें कमेंट बॉक्स में यह जरूर बताएं कि आपको हमारा आज का यह आर्टिकल कैसा लगा
… धन्यवाद
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